पीपल के पेड़ की पहचान, आदर्श जलवायु, धार्मिक महत्व, औषधीय उपयोग

 


पीपल के पेड़ को वैज्ञानिक रूप से फाइकस रेलिजियोसा (Ficus religiosa) कहा जाता है। यह लगभग 30 मीटर (98 फीट) तक ऊँचा हो सकता है। पीपल के पेड़ की आयु लंबी होती है, पीपल लगभग 100 वर्षों तक जीवित रहता है। पीपल का पेड़  मुख्यतः एशिया और दक्षिण पूर्वी एशिया में पाया जाता है। भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया और वियतनाम आदि देशों में पीपल के पेड़ होते हैं। भारत में पीपल का पेड़ प्रायः मंदिरों और धार्मिक स्थलों के पास, गाँवों के चौपालों में, और सड़कों के किनारे देखा जा सकता है।


वैज्ञानिक वर्गीकरण 


जगत: प्लांटी (पादप)


क्लेड: ट्रेकियोफाइट्स (नलिकीय पादप)


क्लेड: एंजियोस्पर्म्स (आवृतबीजी)


क्लेड: युडिकॉट्स (सच्ची द्विबीजपत्री)


गण: रोज़ेल्स


कुल: मोरेसी (शहतूत कुल)


जाति: फिकस


प्रजाति: फिकस रेलिजियोसा


पीपल के पेड़ की पहचान करने के लिए निम्नलिखित विशेषताओं पर ध्यान दें सकते है 


पत्तियाँ: पीपल के पेड़ की पत्तियाँ दिल के आकार की होती हैं और इनकी नोक लंबी और पतली होती है।

तना: तने की छाल हल्के भूरे रंग की होती है और समय के साथ मोटी हो जाती है।

फल: पीपल के पेड़ के छोटे-छोटे फल होते हैं जो पहले हरे और पकने पर काले या गहरे बैंगनी रंग के हो जाते हैं।

जड़ें: पीपल के पेड़ की जड़ें अक्सर जमीन के ऊपर भी दिखाई देती हैं और फैलती रहती हैं।



पीपल के लिए आदर्श जलवायु 


तापमान - यह विभिन्न प्रकार की जलवायु में उग सकता है, लेकिन 20°सेल्सियस - 35°सेल्सियस तापमान में अच्छे से बढ़ता है। यह 10°C -  45°C तापमान आसानी से सहन कर सकता है। 


आद्रता/नमी - पीपल के लिए 40% से 60% आद्रता की स्थिति अच्छी होती है । अधिक शुष्क और अधिक नम वातावरण पीपल की वृद्धि पर खराब प्रभाव डालता है।इसे 6 से 8 घंटे की अच्छी धूप चाहिए होती है। 


मिट्टी - पीपल के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी होनी चाहिए, क्योंकि जल भराव से पीपल की जड़े खराब होने लगती है। पीपल के लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है। दोमट मिट्टी (लोम) में जड़ों के लिए आवश्यक पोषक तत्व भी होते हैं और इसकी जलधारण क्षमता भी अच्छी होती है। 

pH स्तर: पीपल के पेड़ को हल्की अम्लीय से लेकर तटस्थ पीएच स्तर वाली मिट्टी में अच्छा विकास मिलता है। पीएच स्तर 6.5 से 7.5 के बीच सर्वोत्तम होता है।



पीपल का धार्मिक महत्व


पीपल का पेड़ हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में अत्यधिक धार्मिक महत्व रखता है:


हिंदू धर्म:


पीपल के पेड़ को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु इस पेड़ में निवास करते हैं। भगवदगीता में भी श्रीकृष्ण ने कहा है कि वृक्षों में मुझे पीपल जानो। पीपल के पेड़ की पूजा और परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। 

शनिवार को इसकी पूजा करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है।

वट सावित्री व्रत के दौरान महिलाएँ पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं और उसकी परिक्रमा करती हैं।


बौद्ध धर्म:


बोधि वृक्ष: यह माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने पीपल के पेड़ के नीचे ही ज्ञान प्राप्त किया था, जिसे बोधि वृक्ष कहा जाता है। इस कारण बौद्ध धर्म में पीपल के पेड़ का बहुत महत्त्व है।


इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता के कारण, इसे दुनिया के कई अन्य हिस्सों में भी उगाया जाता है, विशेषकर जहाँ भारतीय या बौद्ध समुदाय रहते हैं।




औषधीय उपयोग:

पीपल का पेड़ औषधीय गुणों के लिए भी प्रसिद्ध है और इसका विभिन्न रोगों के उपचार में उपयोग किया जाता है।


पत्तियाँ:: पीपल के पत्तों का उपयोग पाचन समस्याओं, खांसी, और अस्थमा जैसी बीमारियों के इलाज में किया जाता है।

पीपल की पत्तियों का काढ़ा ज्वर को कम करने में मदद करता है।

छाल: छाल से बनी औषधियाँ त्वचा रोगों, सूजन, दांत दर्द और घावों के उपचार में उपयोगी होती हैं।

फल: पीपल के फलों का उपयोग विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में किया पाचन समस्याएं: पीपल के फल का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है।

ऊर्जा बढ़ाने के लिए: फल का सेवन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और कमजोरी को दूर करता है।

जड़: पीपल की जड़ का उपयोग महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य को सुधारने और मासिक धर्म की समस्याओं के इलाज में किया जाता है।


दूध (सफेद रस):पीपल के पेड़ से निकलने वाले दूध का उपयोग घावों को जल्दी भरने के लिए किया जाता है, और इसे मसूड़ों पर लगाने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है।


पर्यावरणीय महत्व


पर्यावरण के दृष्टिकोण से पीपल बहुत अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि पीपल अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का उत्पादन करता है और पर्यावरण को शुद्ध रखने में सहायक होता है, साथ ही यह छाया भी देता है।

पीपल के पत्ते जानवरों को चारे के रूप में खिलाये जाते हैं, विशेष रूप से हाथियों के लिए इन्हें उत्तम चारा माना जाता है। 

पीपल मृदा संरक्षण में मददगार है ओर पीपल मृदा अपरदन को भी रोकता है।


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