रोहिड़ा के पेड़
रोहिड़ा के पेड़
रोहिड़ा का पेड़, जिसे वैज्ञानिक रूप से Tecomella undulata के नाम से जाना जाता है, एक महत्वपूर्ण वृक्ष है जो मुख्यतः भारतीय उपमहाद्वीप के शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे राजस्थान और गुजरात में विशेष रूप से उगाया जाता है। रोहिड़ा को स्थानीय नामों से भी जाना जाता है, जैसे 'मरुधार का बहुमूल्य वृक्ष' और 'मरुदार रोहिड़ा'।
रोहिड़ा के पेड़ की पहचान
पत्तियाँ:
रोहिड़ा की पत्तियाँ छोटी, आयताकार, और हल्की हरी होती हैं। पत्तियों का आकार 5-10 सेमी लंबा और 1-3 सेमी चौड़ा होता है।
तना और छाल:
तना सीधा और मजबूत होता है। छाल गहरे भूरे रंग की होती है और इसमें हल्की दरारें होती हैं।
फूल:
रोहिड़ा के फूल ट्यूब के आकार के और चमकीले नारंगी या पीले रंग के होते हैं। फूलों का आकार 4-5 सेमी लंबा होता है और ये गुच्छों में खिलते हैं।
फल:
रोहिड़ा के फल लंबे और पतले होते हैं, जिनकी लंबाई 15-25 सेमी तक हो सकती है। फलों में कई छोटे, सपाट बीज होते हैं।
आदर्श जलवायु स्थिति
तापमान:
रोहिड़ा के पेड़ को शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु में अच्छा पनपता है। यह पेड़ 25°C से 45°C तक के तापमान में उग सकता है।
मिट्टी:
रोहिड़ा के पेड़ को रेतीली, दोमट और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी पसंद है। यह पेड़ खराब और क्षारीय मिट्टी में भी उग सकता है।
वर्षा:
रोहिड़ा के पेड़ को कम वर्षा की आवश्यकता होती है, जहां वार्षिक वर्षा 200-500 मिमी होती है। यह पेड़ सूखा सहनशील होता है।
सूरज की रोशनी:
रोहिड़ा के पेड़ को पूर्ण सूर्यप्रकाश की आवश्यकता होती है। यह पेड़ छायादार क्षेत्रों में अच्छी तरह से नहीं पनपता।
रोहिड़ा के पेड़ की उपयोगिता
लकड़ी:
रोहिड़ा की लकड़ी मजबूत, टिकाऊ, और कीटरोधी होती है। इसका उपयोग फर्नीचर, कृषि उपकरण, और भवन निर्माण में किया जाता है। लकड़ी का रंग सुनहरा भूरा होता है।
औषधीय उपयोग:
रोहिड़ा की छाल और पत्तियों का उपयोग पारंपरिक औषधियों में किया जाता है। इसका उपयोग त्वचा रोगों, सूजन, और घावों के उपचार में किया जाता है।
पर्यावरणीय महत्व:
रोहिड़ा का पेड़ शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में मिट्टी के कटाव को रोकने और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सजावटी उपयोग:
रोहिड़ा के पेड़ को इसके सुंदर फूलों के कारण बागवानी और परिदृश्य सजावट के लिए भी उपयोग किया जाता है।
ईंधन:
रोहिड़ा की लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में भी किया जाता है, क्योंकि यह अच्छी तरह से जलती है और उच्च गर्मी उत्पन्न करती है।
रोहिड़ा के पेड़ के अन्य नाम
संस्कृत: श्यामतरु
हिंदी: रोहिड़ा, रोहिडा
राजस्थानी: रोहिड़ा
गुजराती: રોહિડો (Rohido)
पंजाबी: ਰੋਹਿੜਾ (Rohida)
मराठी: रोहीडा
तेलुगु: రోహిడా
तमिल: ரோஹிடா
रोहिड़ा का पेड़ अपने पर्यावरणीय, औषधीय और आर्थिक महत्व के कारण अत्यधिक मूल्यवान है, विशेषकर शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में।
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