मलईगिरी के पेड़
मलईगिरी के पेड़
मलईगिरी का पेड़, जिसे वैज्ञानिक रूप से Mimusops elengi के नाम से जाना जाता है, एक सदाबहार वृक्ष है। जो भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे बुलेट वुड ट्री, स्पैनिश चेरी, और बकुल।
मलईगिरी के पेड़ की पहचान
पत्तियाँ:
मलईगिरी की पत्तियाँ चमकदार, हरी, और आयताकार होती हैं। पत्तियों का आकार 5-14 सेमी लंबा और 3-6 सेमी चौड़ा होता है।
तना और छाल:
तना सीधा और मजबूत होता है। छाल गहरे भूरे रंग की होती है और इसमें हल्की दरारें होती हैं।
फूल:
मलईगिरी के फूल छोटे, सफेद, और सुगंधित होते हैं। फूलों का व्यास लगभग 1-2 सेमी होता है और ये गुच्छों में खिलते हैं।
फल:
मलईगिरी के फल अंडाकार, पीले से नारंगी रंग के और मांसल होते हैं। फल का आकार लगभग 2-3 सेमी होता है और इसमें एक कठोर बीज होता है।
आदर्श जलवायु स्थिति
तापमान:
मलईगिरी के पेड़ को उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छा पनपता है। यह पेड़ 20°C से 35°C तक के तापमान में उग सकता है।
मिट्टी:
मलईगिरी के पेड़ को अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी पसंद है। यह पेड़ दोमट और जलोढ़ मिट्टी में सबसे अच्छा उगता है।
वर्षा:
मलईगिरी के पेड़ को मध्यम से उच्च वर्षा की आवश्यकता होती है, जहां वार्षिक वर्षा 1000-2500 मिमी होती है।
सूरज की रोशनी:
मलईगिरी के पेड़ को पूर्ण सूर्यप्रकाश की आवश्यकता होती है। यह पेड़ छायादार क्षेत्रों में भी पनप सकता है, लेकिन पूर्ण सूर्यप्रकाश में अधिक अच्छी तरह से उगता है।
मलाई गिरी के पेड़ की उपयोगिता
औषधीय उपयोग:
मलईगिरी के विभिन्न भागों, जैसे कि फूल, पत्तियाँ, और छाल, का उपयोग पारंपरिक औषधियों में किया जाता है। इसका उपयोग दांत दर्द, मसूड़ों की सूजन, और घावों के उपचार में किया जाता है।
सुगंधित फूल:
मलाई गिरी के फूल सुगंधित होते हैं और इन्हें धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है। इनका उपयोग इत्र और सुगंधित तेल बनाने में भी किया जाता है।
खाद्य स्रोत:
मलाई गिरी के फल खाने योग्य होते हैं और इन्हें ताजे या सूखे रूप में खाया जा सकता है।
लकड़ी:
मलाई गिरी की लकड़ी मजबूत, टिकाऊ, और कीटरोधी होती है। इसका उपयोग फर्नीचर, कृषि उपकरण, और भवन निर्माण में किया जाता है।
सजावटी उपयोग:
मलाई गिरी के पेड़ को इसके सुंदर फूलों और घने पत्तों के कारण बागवानी और परिदृश्य सजावट के लिए भी उपयोग किया जाता है।
मलाई गिरी के पेड़ के अन्य नाम
संस्कृत: बकुल
हिंदी: बकुल, बकुला
तमिल: மகிழம் (Magilam)
तेलुगु: బకుళం (Bakulam)
कन्नड़: ಬಕುಳ (Bakul)
मलयालम: വളമ (Valama)
मराठी: बकुळ
बंगाली: বকুল (Bakul)
अंग्रेजी: Bullet Wood Tree, Spanish Cherry
मलाई गिरी का पेड़ अपने औषधीय गुणों, सुगंधित फूलों, और विभिन्न उपयोगों के कारण अत्यधिक मूल्यवान है।
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